इज़राइल और सीरिया के बीच संघर्ष: इतिहास, वर्तमान और भविष्य
इज़राइल और सीरिया के बीच की तनावपूर्ण स्थिति:
सीरिया और इज़राइल के बीच का विवाद मध्य पूर्व के सबसे पुराने और जटिल संघर्षों में से एक रहा है। 1967 के युद्ध से शुरू हुआ यह संघर्ष अब तक कई युद्धों, संघर्षविराम और कूटनीतिक प्रयासों से गुज़रा है, लेकिन हाल की घटनाओं ने इसे और भी जटिल बना दिया है। 2024 में, सीरिया और इज़राइल के बीच का संघर्ष फिर से एक नई ऊँचाई पर पहुंच गया है, जिससे पूरे मध्य पूर्व में तनाव और अस्थिरता का माहौल बन गया है।
गोलन हाइट्स विवाद का महत्व:
गोलन हाइट्स, जो 1967 के छह दिन युद्ध के दौरान इज़राइल द्वारा कब्जा किए गए थे, एक अत्यधिक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह क्षेत्र इज़राइल और सीरिया के बीच सीमा के पास स्थित है और पानी की आपूर्ति, सैन्य दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गोलन हाइट्स पर इज़राइल का कब्जा 50 वर्षों से विवाद का केंद्र रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र पर इज़राइल का दावा अब और भी मजबूत हो गया है, और इज़राइल ने इसे “अनंत काल तक इज़राइल के नियंत्रण में रहने वाला क्षेत्र” घोषित किया है।
2024 की घटनाएं:
सीरिया में इज़रायली सेना की घुसपैठ:
इज़राइल ने 2024 में सीरिया के भीतर घुसपैठ करते हुए गोलन हाइट्स पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। यह कदम 50 साल बाद पहली बार हुआ है, और इसे इज़राइल की “रणनीतिक सुरक्षा कदम” के रूप में देखा जा रहा है। इज़रायली सेना ने 10 किलोमीटर अंदर सीरियाई क्षेत्र में घुसकर एक बफर जोन बना लिया है। यह कदम सीरिया के आंतरिक संकट और असद शासन के कमजोर होने का फायदा उठाते हुए उठाया गया है।
इज़रायली टैंक अब सीरिया की राजधानी दमिश्क के पास देखे जा रहे हैं, जो कि इस देश की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना रहा है। गोलन हाइट्स पर इज़राइल का नियंत्रण इस्लामिक दुनिया में गुस्से का कारण बन चुका है, और कई मुस्लिम देशों ने इज़राइल की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।
मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया:
इज़राइल की इस घुसपैठ और कब्जे के बाद, सऊदी अरब, कतर और इराक जैसे मुस्लिम देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार दिया है। इन देशों का कहना है कि इज़राइल का यह कदम सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन है और यह क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बनेगा।
कतर: कतर ने इज़राइल के इस कदम को “सीरिया की संप्रभुता पर हमला” और “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया। कतर ने चेतावनी दी है कि इस कदम से क्षेत्रीय हिंसा और तनाव बढ़ेगा।
सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी इज़राइल पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। सऊदी अरब ने गोलन हाइट्स को “अरब क्षेत्र” घोषित किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस कार्रवाई की निंदा करने की अपील की।
इराक: इराक ने इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हस्तक्षेप की अपील की।
सीरिया में असद शासन का पतन और ईरान का प्रभाव:
सीरिया में असद का पतन:
सीरिया में गृह युद्ध के परिणामस्वरूप राष्ट्रपति बशर अल-असद का शासन कमजोर हुआ है। असद और उनके समर्थकों के खिलाफ विद्रोह ने देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। बशर अल-असद के रूस भाग जाने के बाद, तुर्की समर्थित विद्रोहियों ने कई क्षेत्रों पर नियंत्रण प्राप्त किया है।
ईरान और रूस का प्रभाव:
सीरिया में ईरान और रूस का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जो इज़राइल के लिए चिंता का कारण बनता है। इज़राइल का मानना है कि इन देशों के प्रभाव के कारण सीरिया इज़राइल के खिलाफ एक ठिकाना बन सकता है। इसके अलावा, ईरान सीरिया के रास्ते लेबनान में हिजबुल्लाह को हथियार भेज सकता है, जिससे इज़राइल की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
अमेरिकी हवाई हमले और सैन्य कार्रवाई:
सीरिया में अमेरिकी बॉम्बर्स ने इज़रायली सेना के साथ मिलकर सीरिया के सैन्य ठिकानों और रासायनिक हथियारों की फैक्ट्रियों पर हवाई हमले किए हैं। इन हमलों का उद्देश्य यह था कि इन हथियारों को विद्रोहियों के हाथ न लगने पाए। इन हमलों के बाद इज़राइली सेना ने ज़मीन पर भी कार्रवाई की, और गोलन हाइट्स के पास बफर जोन स्थापित किया।
मध्य पूर्व में बढ़ता हुआ तनाव:
गोलन हाइट्स पर कब्जा और रणनीतिक लाभ:
इज़राइल ने गोलन हाइट्स पर कब्जा करके अपने नागरिकों की सुरक्षा को और मजबूत किया है। इसके अलावा, यह कदम सीरिया और इज़राइल के बीच संघर्ष को और भी बढ़ा सकता है। इज़राइल का मानना है कि यह कदम अस्थायी रूप से उठाया गया है, लेकिन इसके परिणाम दूरगामी हो सकते हैं। इस कदम से इज़राइल को एक रणनीतिक लाभ प्राप्त हुआ है, क्योंकि अब ईरान के लिए सीरिया के रास्ते लेबनान में हिजबुल्लाह को हथियार भेजना मुश्किल हो जाएगा।
निष्कर्ष:
इज़राइल और सीरिया के बीच के संघर्ष ने एक नई दिशा ले ली है, और यह क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। इज़राइल की गोलन हाइट्स पर घुसपैठ और कब्जा इस संघर्ष को एक नए स्तर पर ले गया है, और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय अस्थिरता और वैश्विक तनाव बढ़ सकता है। इस स्थिति को लेकर मुस्लिम देशों के विरोध और कूटनीतिक प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि यह संघर्ष केवल सीरिया और इज़राइल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह मध्य पूर्व के अन्य देशों और वैश्विक शक्तियों के बीच भी एक कूटनीतिक संकट उत्पन्न करेगा।
इज़राइल और सीरिया के बीच की यह स्थिति किसी भी समय और बढ़ सकती है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे। केवल कूटनीतिक प्रयासों और सहमति से ही इस संघर्ष का समाधान निकाला जा सकता है।
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