18 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में पहली बार BJP सरकार ने कर्तव्य पथ पर 1,51,000 दीयों से धनतेरस का उत्सव मनाया। यह आयोजन भव्य और प्रभावशाली था, जिसमें सरकार ने जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करने और त्योहार की रौनक को बढ़ाने का प्रयास किया। कर्तव्य पथ की गलियां दीयों की रोशनी से जगमगा रही थीं और दृश्य अत्यंत आकर्षक लग रहा था।
लेकिन इसी दौरान एक बड़ी चूक देखने को मिली। दिल्ली के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थल कुतुब मीनार और ध्रुव स्तंभ पूरी तरह अंधेरे में रहे। यह घटना स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के लिए बहुत निराशाजनक रही। लोगों ने कहा कि यदि आधुनिक क्षेत्र को सजाने के लिए इतनी भव्य व्यवस्था की जा सकती है, तो प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों को रोशन करना भी उतना ही जरूरी है।
स्थानीय लोगों की नाराजगी
स्थानीय निवासी और समाजसेवी, डॉ. अरविंद यादव, जो लंबे समय से जनहित में सक्रिय हैं, ने इस आयोजन की आलोचना की। उनका कहना है कि दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारक हमारी संस्कृति और विरासत का प्रतीक हैं। उन्हें त्योहारों पर रोशन करना न केवल सांस्कृतिक जिम्मेदारी है बल्कि जनता के उत्साह और पर्यटन के लिए भी आवश्यक है।
डॉ. अरविंद ने कहा, “कर्तव्य पथ पर दीयों से रोशनी देखकर लोग खुश हैं, लेकिन यदि वही रोशनी कुतुब मीनार और ध्रुव स्तंभ पर नहीं दिखाई देती, तो यह स्थानीय प्रतिनिधियों की असफलता को दिखाता है। हम मांग करते हैं कि कुतुब मीनार और ध्रुव स्तंभ को भी तत्काल रोशन किया जाए।”
स्थानीय लोगों का मानना है कि MLA गजैंदर यादव और MP रामवीर सिंह बिधुरी की जवाबदेही स्पष्ट रूप से प्रश्न के घेरे में है। जनता के अनुसार, यदि उनके प्रतिनिधि ही अपने क्षेत्र के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों को उचित रूप से रोशन नहीं कर सकते, तो उनका कार्यकाल अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर नहीं माना जा सकता।
त्योहार की रौनक और प्रशासनिक असफलता
कर्तव्य पथ पर 1,51,000 दीयों की रौशनी निश्चित रूप से भव्य थी। लेकिन इस भव्यता के बावजूद स्थानीय प्रशासन की सांस्कृतिक संवेदनशीलता की कमी सामने आई। कुतुब मीनार और ध्रुव स्तंभ जैसे ऐतिहासिक स्थल दिल्ली की पहचान हैं। इन स्थलों को रोशन करने में नाकामी सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक विफलता और प्रतिनिधियों की अनदेखी को दर्शाती है।
स्थानीय व्यापारियों, पर्यटकों और निवासियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि “जब दिल्ली के लोग त्योहार का आनंद लेने के लिए बाहर आते हैं, तब उन्हें केवल आधुनिक स्थलों की रौनक दिखाई देती है। हमारी सांस्कृतिक धरोहर को नजरअंदाज करना, स्थानीय प्रतिनिधियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठाता है।”
MLA गजैंदर यादव पर लोगों का दबाव
इस घटना के बाद, Mehrauli विधानसभा क्षेत्र के MLA गजैंदर यादव पर स्थानीय लोगों का दबाव बढ़ गया है। कई निवासी सीधे तौर पर उनसे जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि यदि एक छोटा सा प्रशासनिक निर्णय—जैसे कुतुब मीनार (ध्रुव स्तंभ) पर रोशनी की व्यवस्था—समय पर नहीं लिया गया, तो वे अपनी अन्य जिम्मेदारियों में कितने सक्षम हैं।
स्थानीय लोग यह भी कह रहे हैं कि यह सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन का मामला नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही का मुद्दा है। एक निर्वाचित प्रतिनिधि का कर्तव्य है कि वह न केवल विकास कार्य करे बल्कि अपने क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करे।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांगें
समाजसेवी डॉ. अरविंद यादव ने स्थानीय नेताओं और प्रशासन से स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में कुतुब मीनार और ध्रुव स्तंभ पर रोशनी की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए। उनका कहना है कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो यह MLA और MP की असफलता का प्रतीक होगा।
डॉ. अरविंद और अन्य स्थानीय कार्यकर्ता लगातार सोशल मीडिया, जन मंचों और स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से यह संदेश फैला रहे हैं कि सांस्कृतिक विरासत की अनदेखी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिम्मेदारी का प्रश्न
कर्तव्य पथ पर दीयों की भव्य रौनक के बीच, कुतुब मीनार और ध्रुव स्तंभ का अंधेरा स्थानीय नेतृत्व की बड़ी असफलता को उजागर करता है। यह सिर्फ दिवाली या धनतेरस का मामला नहीं है, बल्कि जनता की उम्मीद, सांस्कृतिक संवेदनशीलता और निर्वाचित प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी का मामला है।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि अगर MLA गजैंदर यादव और MP रामवीर सिंह बिधुरी इस मुद्दे पर कार्रवाई नहीं करेंगे, तो यह जनता के लिए जवाबदेही और विश्वासघात का प्रतीक होगा।
दिल्ली की सांस्कृतिक विरासत और त्योहारों की रौनक तभी पूरी तरह नजर आएगी, जब न केवल आधुनिक स्थानों की रोशनी होगी, बल्कि कुतुब मीनार, ध्रुव स्तंभ और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों
को भी समुचित सम्मान और रोशनी मिलेगी।
