🚨 महरौली हादसा: खुले नाले में बहा 22 वर्षीय युवक, सुरक्षा इंतज़ामों पर उठे सवाल
महरौली में खुले नाले बने जानलेवा
दिल्ली के महरौली विधानसभा क्षेत्र के वार्ड 155 में 30 सितम्बर की दोपहर भारी बारिश के बीच एक बड़ा हादसा हुआ।
वार्ड संख्या 7, कसाई बाड़े वाली गली में 22 वर्षीय युवक देवेंद्र खुले नाले में बह गए। दोपहर 2 बजे से दिल्ली फायर ब्रिगेड और प्रशासनिक टीमों ने तलाशी अभियान शुरू किया, लेकिन अब तक उनका कोई पता नहीं चला।
यह घटना एक परिवार के लिए त्रासदी होने के साथ-साथ पूरे इलाके की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रही है।
पहले भी हुआ था हादसा, फिर क्यों नहीं हुए सुधार?
स्थानीय निवासियों ने बताया कि इसी नाले में पहले भी दुर्घटना हुई थी। उस समय अस्थायी रूप से जाल लगाया गया था, लेकिन कुछ ही वर्षों बाद जाल हटा दिया गया और कभी दोबारा नहीं लगाया गया।
यह स्थिति साफ दर्शाती है कि दिल्ली सिंचाई विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और नगर निगम (MCD) ने इलाके की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया।
विधायक और पार्षद की निष्क्रियता पर सवाल
महरौली विधानसभा के विधायक गजेंद्र यादव और वार्ड की पार्षद रेखा महेन्द्र चौधरी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि:
जनप्रतिनिधि इलाके की गंभीर समस्याओं पर सक्रिय नहीं हैं।
खुले नाले, टूटी सड़कें और अधूरी परियोजनाएं जनता के लिए रोज़ खतरा बनी हुई हैं।
हर बार हादसे के बाद बयानबाज़ी होती है, लेकिन जमीनी कार्रवाई कभी नहीं होते |
महरौली–किशनगढ़: हादसों का इलाका
पिछले कुछ वर्षों में महरौली और किशनगढ़ क्षेत्र हादसों का केंद्र बन गए हैं।
किशनगढ़ की टूटी सड़क से हाल ही में एक युवक घायल होकर अस्पताल में भर्ती हुआ।
पिछले साल खुले पाइप से टकराकर एक बाइक सवार की मौत हो गई थी।
अब खुले नाले में 22 वर्षीय देवेंद्र बह गए।
स्थानीय लोग कहते हैं –
“प्रशासन बदला, विधायक बदले, पार्षद बदले, लेकिन महरौली–किशनगढ़ की हालत पहले से और खराब हो गई है।”
जनता का गुस्सा और उनकी मांग
हादसे के बाद इलाके में लोगों का गुस्सा साफ नज़र आ रहा है। उनका कहना है कि अगर समय रहते सुरक्षा इंतज़ाम किए जाते, तो यह घटना टाली जा सकती थी।
स्थानीय लोगों की मुख्य मांगें हैं:
1. जिम्मेदार विभागों और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
2. नालों और सड़कों की तत्काल मरम्मत हो।
3. निष्क्रिय विधायक और पार्षद से जनता को जवाब लिया जाए।
निष्कर्ष – कब तक चुकानी पड़ेगी लापरवाही की कीमत?
महरौली की एक और दुर्घटना यह साबित करती है कि प्रशासनिक मशीनरी और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही अब सीधे लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है।
जब तक जिम्मेदारी तय नहीं होगी और ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, महरौली और किशनगढ़ जैसे क्षेत्र हादसों का इलाका बने रहेंगे।
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