दिल्ली की ऐतिहासिक निज़ामुद्दीन दरगाह में शनिवार (18 अक्टूबर) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा दीपावली के अवसर पर दीप जलाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार भी मौजूद थे।
लेकिन यह आयोजन शांति और सौहार्द का प्रतीक बनने के बजाय विवाद का केंद्र बन गया, जब दरगाह प्रबंधन समिति ने इस पर आपत्ति जताई और निज़ामुद्दीन थाने में तहरीर दर्ज कराई।
🕌 दरगाह कमेटी की आपत्ति: अनुमति के बिना कार्यक्रम
दरगाह प्रबंधन समिति ने अपनी शिकायत में कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बिना अनुमति अनधिकृत कार्यक्रम किया, जिससे धार्मिक मर्यादा और शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती थी।
कमेटी का दावा है कि इस प्रकार के आयोजनों के लिए पहले से अनुमति लेना आवश्यक होता है, ताकि किसी प्रकार का धार्मिक टकराव या गलतफहमी न हो।
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मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का पक्ष: “एकता और प्रेम का संदेश”
दूसरी ओर, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सदस्यों ने कहा कि दीप प्रज्वलन का उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित करना था।
संघ नेता इंद्रेश कुमार ने भी कहा —
> “भारत की आत्मा सबको जोड़ने की है। दीपावली का प्रकाश हर हृदय को आलोकित करने वाला है, इसका किसी धर्म से विरोध नहीं होना चाहिए।”
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विवाद का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी कड़ी बहस को जन्म दिया।
एक वर्ग ने इसे ‘धर्मों के बीच एकता का प्रयास’ कहा,
जबकि दूसरे वर्ग ने इसे ‘धार्मिक सीमाओं का अतिक्रमण’ बताया।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना भारत में चल रही धर्मनिरपेक्षता बनाम प्रतीकवाद की बहस को और गहरा करती है।
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📜 ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: दरगाहों की साझा परंपरा
निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह दिल्ली में सूफी परंपरा का महत्वपूर्ण केंद्र मानी जाती है।
सदियों से यहाँ हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के श्रद्धालु जियारत करने आते हैं।
यह परंपरा भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक रही है, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग शांति और भक्ति की भावना से एकत्रित होते हैं।
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विश्लेषण: यह विवाद हमें क्या सिखाता है?
यह प्रकरण केवल एक धार्मिक आयोजन का विवाद नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत में धर्म, राजनीति और सांस्कृतिक पहचान कितनी गहराई से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
जब “एकता” का प्रतीक बनने वाला प्रयास भी विवाद का कारण बन जाए, तो यह समाज के लिए आत्ममंथन का अवसर बन जाता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि भविष्य में इस प्रकार के आयोजनों को लेकर संवाद, सहमति और पारदर्शिता की प्रक्रिया को मजबूत किया जाए, ताकि धार्मिक सौहार्द कायम रहे।
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वर्तमान स्थिति
फिलहाल दिल्ली पुलिस ने दरगाह कमेटी की शिकायत दर्ज कर ली है और मामले की जांच जारी है।
वहीं, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और RSS दोनों ने कहा है कि वे इस मामले को शांति और संवाद के ज़रिए सुलझाना चाहते हैं।
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निष्कर्ष (Conclusion):
निज़ामुद्दीन दरगाह विवाद यह दिखाता है कि भारत की विविधता और आस्था के बीच संतुलन बनाए रखना आज भी एक चुनौती है।
सवाल यह है — क्या धर्म और संस्कृति के बीच सहयोग की राह निकलेगी, या यह टकराव आगे और गहराएगा?
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🗞️ Source: जन समाचार TV Digital Desk
📅 Published: 19 October 2025
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