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आरएसएस की शताब्दी वर्षगांठ: 100 वर्षों की सेवा, संगठन और संघर्ष की कहानी
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी वर्षगांठ पर विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्के जारी किए। यह क्षण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि संघ की 100 वर्षों की संघर्षपूर्ण यात्रा और समाज सेवा की परंपरा का प्रतीक है।
1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में इसकी नींव रखी। छोटे-से स्वयंसेवक समूह से शुरू हुआ यह संगठन आज दुनिया के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठनों में गिना जाता है।
संघ ने समय-समय पर कई कठिनाइयाँ झेलीं—1948 में गांधी हत्या के बाद लगा पहला प्रतिबंध, 1975 में इमरजेंसी और 1992 में बाबरी विवाद के बाद प्रतिबंध। लेकिन हर बार संघ और मजबूत होकर उभरा।
आज संघ के विविध संगठन समाज जीवन के हर क्षेत्र में सक्रिय हैं—
ABVP छात्रों में राष्ट्रभावना जाग्रत कर रही है।
भारतीय मज़दूर संघ और किसान संघ श्रमिकों और किसानों की आवाज़ बन रहे हैं।
सेवा भारती शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा राहत में अग्रणी है।
हिंदू स्वयंसेवक संघ (HSS) 100 से अधिक देशों में भारतीय संस्कृति का प्रचार कर रहा है।
संघ की शाखाओं से निकले अनेक कार्यकर्ता आज राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक और पार्षद तक बने हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी जैसे नेता संघ की परंपरा का ही परिणाम हैं।
100 वर्षों का यह सफर दिखाता है कि संगठन की शक्ति, अनुशासन और सेवा राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं।
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