सदानंद मास्टर जी: त्याग, बलिदान और राष्ट्र के प्रति अटल श्रद्धा का प्रतीक
परिचय: संघ के एक अमिट प्रेरणा स्तंभ
सदानंद मास्टर जी, छह फीट ऊंचे, दृढ़ व्यक्तित्व और अद्भुत शारीरिक क्षमता वाले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के उन महान कार्यकर्ताओं में से एक हैं, जिनका जीवन त्याग, साहस और मातृभूमि के प्रति प्रेम का प्रेरक उदाहरण है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अपने आदर्शों और ध्येय के प्रति समर्पित रह सकता है।
उनका प्रारंभिक जीवन वामपंथी विचारधारा के प्रभाव में था। लेकिन संघ के संपर्क में आने के बाद उन्होंने अपने जीवन को राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित कर दिया। आज, वे संघ और हिंदुत्व के कार्यों में अपनी अनूठी भूमिका निभाते हुए संपूर्ण राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
वामपंथ से संघ तक का सफर
प्रारंभिक जीवन और वामपंथ का प्रभाव
सदानंद मास्टर जी का विद्यार्थी जीवन कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित था। उनकी बुद्धिमत्ता, प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें वामपंथी आंदोलन का एक महत्वपूर्ण कार्यकर्ता बना दिया। एक कवि, साहित्य प्रेमी और खिलाड़ी होने के साथ-साथ उनके अकादमिक प्रदर्शन ने उन्हें समाज में एक खास पहचान दिलाई।
लेकिन समय के साथ, उन्होंने वामपंथी विचारधारा की कमजोरियों को समझा। उन्हें यह एहसास हुआ कि वामपंथ न केवल भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह गरीब और पिछड़े लोगों को शोषित करने का माध्यम भी है।
संघ के संपर्क में आना
इन्हीं दिनों सदानंद मास्टर जी का संपर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं से हुआ। संघ के कार्यकर्ताओं का साधारण, सात्विक और ऋषि तुल्य जीवन उनके हृदय को छू गया। धीरे-धीरे वे संघ के निकट आए और स्वयंसेवक बन गए।
संघ में उनका सफर “अपरिचित से परिचित, फिर स्वयंसेवक और अंततः एक आदर्श कार्यकर्ता” बनने तक का रहा। उनके कार्यों ने न केवल उनके गांव, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी संघ की जड़ें मजबूत कीं।
कम्युनिस्ट हिंसा: साहस और बलिदान की अमर गाथा
कम्युनिस्टों का षड्यंत्र
सदानंद मास्टर जी की निष्ठा और साहस से विचलित होकर कम्युनिस्टों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा। उनके गांव, जो पूरी तरह से कम्युनिस्ट प्रभाव में था, में संघ का कार्य प्रारंभ होते देख कम्युनिस्ट कार्यकर्ता परेशान हो गए। उन्होंने उन्हें सबक सिखाने के लिए एक भयानक योजना बनाई।
कायरतापूर्ण हमला
एक दिन शाखा से लौटते समय, कम्युनिस्ट गुंडों ने सदानंद जी पर हमला किया। उनके दोनों पैरों को कुल्हाड़ी से काट दिया गया और उन्हें जंगल में फेंक दिया गया। जब वे दर्द से तड़प रहे थे, तब भी उनके मुंह से कराह के बजाय “वंदे मातरम्” और “भारत माता की जय” के नारे गूंज रहे थे।
अद्वितीय साहस और संघ का समर्थन
जब संघ के स्वयंसेवकों को इस घटना का पता चला, तो वे दौड़ते हुए घटनास्थल पर पहुंचे। सदानंद जी को तुरंत कोच्चि के अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान, उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी, लेकिन उनका धैर्य और साहस अडिग रहा।
जीवन का पुनर्निर्माण और संघ कार्य में वापसी
कृत्रिम पैरों के सहारे नया जीवन
इस भयानक हमले के बाद, सदानंद मास्टर जी ने जयपुर फुट की मदद से फिर से चलना सीखा। लेकिन उनके पैरों का नुकसान भी उनकी आत्मा को नहीं तोड़ सका। उन्होंने अपने जीवन को संघ और हिंदुत्व के कार्य में पुनः समर्पित कर दिया।
संघ के लिए समर्पण
सदानंद जी ने संघ के कार्य को एक नए जोश और समर्पण के साथ आगे बढ़ाया। उन्होंने एक तिपहिया वाहन का निर्माण करवाया, जिससे वे संघ के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवास कर सकें। उनका जीवन यह संदेश देता है कि कोई भी शारीरिक चुनौती व्यक्ति के ध्येय को नहीं रोक सकती।
प्रेरणा स्रोत: विवाह और परिवार
एक अद्वितीय नारी का साहस
हमले के समय उनके विवाह की चर्चा हो रही थी। परिवार ने उनके दोनों पैर कटने के बाद यह विचार त्याग दिया। लेकिन उनकी होने वाली जीवनसंगिनी ने यह कहकर समाज को झकझोर दिया कि वह विवाह करेगी तो केवल सदानंद जी से। उनका यह साहस भारतीय नारी शक्ति का अनुपम उदाहरण है।
परिवार का योगदान
उनकी पत्नी आज भी उनके साथ हिंदुत्व और राष्ट्र निर्माण के कार्य में पूरी निष्ठा के साथ जुड़ी हुई हैं। उनकी मां, जिन्होंने ऐसे महान पुत्र को जन्म दिया, और उनकी पत्नी, जिन्होंने उनके साथ खड़े रहने का साहस दिखाया, दोनों ही भारतीय समाज के लिए प्रेरणा हैं।
अखिल भारतीय दंड प्रहार महायज्ञ और सदानंद मास्टर जी
पिछले वर्ष जब अखिल भारतीय दंड प्रहार महायज्ञ का आयोजन हुआ, तो सदानंद मास्टर जी ने जयपुर फुट पहनकर इसमें भाग लिया। सभी ने उन्हें इस कार्य से मना किया, लेकिन उन्होंने 49 प्रहार किए। उनकी प्रतिबद्धता यह दर्शाती है कि संघ का कार्य उनके लिए केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य है।
संघ: एक दिव्य प्रेरणा
संघ के कार्यकर्ताओं का जीवन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक जीवन दृष्टि है। संघ के कार्यकर्ताओं का जीवन साधारण होते हुए भी असाधारण होता है। संघ कार्यकर्ता अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हैं।
संघ की प्रेरणा
सदानंद मास्टर जी जैसे कार्यकर्ता यह सिद्ध करते हैं कि संघ केवल विचारों का आंदोलन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का आधार है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक साधारण व्यक्ति अपने साहस और समर्पण से असाधारण कार्य कर सकता है।
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निष्कर्ष: राष्ट्र सेवा का अमिट उदाहरण
सदानंद मास्टर जी का जीवन त्याग, बलिदान और राष्ट्र के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, राष्ट्र निर्माण का कार्य रुकना नहीं चाहिए।
“जय जय भारत, वंदे मातरम्।”
“हिंदू राष्ट्र गौरव वैभव, नित आगे बढ़ता जाएगा।”