संसद में धक्का-मुक्की: राहुल गांधी पर गंभीर आरोप, शिवराज सिंह चौहान की कड़ी प्रतिक्रिया
19 दिसंबर 2024 को संसद भवन में एक अप्रत्याशित घटना घटी, जिसने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भाजपा सांसदों के साथ धक्का-मुक्की और असंसदीय व्यवहार करने के आरोप लगे हैं। इस घटना की व्यापक निंदा हो रही है, विशेषकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा।
संसद में हुई घटना की पृष्ठभूमि
संसद भवन में भाजपा सांसद मकर द्वार पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जब राहुल गांधी वहां पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने भाजपा सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे वरिष्ठ सांसद प्रताप सारंगी घायल हो गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं। इसके अलावा, आदिवासी सांसद फंगनोन कोन्याक के साथ भी अभद्र व्यवहार किए जाने की खबरें हैं।
शिवराज सिंह चौहान की प्रतिक्रिया
शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने राहुल गांधी के व्यवहार को ‘गुंडों जैसा’ बताया और कहा कि यह सभ्य समाज के लिए अकल्पनीय है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस घटना के लिए माफी की उम्मीद जताई, लेकिन कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया से असंतोष प्रकट किया।
शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक सफर
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल
शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चार बार कार्यभार संभाला है:
1. पहला कार्यकाल: 29 नवंबर 2005 से 12 दिसंबर 2008 तक।
2. दूसरा कार्यकाल: 12 दिसंबर 2008 से 13 दिसंबर 2013 तक।
3. तीसरा कार्यकाल: 14 दिसंबर 2013 से 12 दिसंबर 2018 तक।
4. चौथा कार्यकाल: 23 मार्च 2020 से 11 दिसंबर 2023 तक।
इन कार्यकालों के दौरान, उन्होंने राज्य में विकास कार्यों को गति दी और विभिन्न सामाजिक योजनाओं की शुरुआत की।
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भाजपा सरकार में वर्तमान दायित्व
मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद, शिवराज सिंह चौहान को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। इस भूमिका में, वे पार्टी के संगठनात्मक कार्यों और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
घटना के राजनीतिक प्रभाव
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संसद में हुई इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है, जबकि कांग्रेस ने अपने नेता का बचाव किया है। यह घटना आगामी चुनावों और संसद सत्रों में राजनीतिक बहस का केंद्र बिंदु बन सकती है।
निष्कर्ष
संसद जैसे गरिमामय स्थल पर इस प्रकार की घटनाएं लोकतंत्र की मर्यादा को ठेस पहुंचाती हैं। नेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने आचरण में संयम और शिष्टता बरतें, ताकि संसद की गरिमा बनी रहे और जनप्रतिनिधियों के प्रति जनता का विश्वास मजबूत हो।
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