सोनिया गांधी, जॉर्ज सोरोस और कश्मीर: एक रहस्यमयी कनेक्शन
राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को हुई थी, और महज एक महीने बाद, 21 जून 1991 को ‘राजीव गांधी फाउंडेशन’ का गठन किया गया। इस फाउंडेशन की शुरुआत ने कई सवाल खड़े किए। क्या यह केवल एक श्रद्धांजलि थी, या इसके पीछे कुछ और था? इस सवाल का जवाब धीरे-धीरे सामने आने लगा, और इसकी जड़ें सोनिया गांधी और उनके अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गहराई तक फैली हुई हैं।
सोनिया गांधी का ब्रिटेन और अमेरिका यात्रा
1993 में, जब सोनिया गांधी ने ब्रिटेन में राजीव गांधी फाउंडेशन की एक शाखा खोली, तब ब्रिटिश सरकार ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पारित किया। उसी साल, सोनिया गांधी ने अमेरिका भी यात्रा की। हालांकि, उनके इस दौरे के उद्देश्य को लेकर कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं। क्या यह फाउंडेशन के कार्यों से जुड़ा था, या इसके पीछे कुछ और था?
जॉर्ज सोरोस और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन
1993 में ही, जॉर्ज सोरोस ने ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में मानवाधिकारों और लोकतंत्र का समर्थन करना था। हालांकि, सोरोस के इस फाउंडेशन को लेकर विवादों की लंबी सूची है, क्योंकि इसके द्वारा दुनिया भर में कई एनजीओ को फंडिंग की जाती थी, जिनमें से कुछ ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने की कोशिश की।
‘स्वतंत्र कश्मीर’ का एजेंडा और सोनिया गांधी का कनेक्शन
1994 में ‘फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स’ (FDL-AP) नामक एक एनजीओ का गठन हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य था ‘स्वतंत्र कश्मीर’। इस फोरम के सह-अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का नाम सामने आता है। यह न केवल कश्मीर की स्वतंत्रता के पक्ष में था, बल्कि अमेरिकी विचारधारा को भी प्रोत्साहित कर रहा था। सोरोस का फाउंडेशन इस एनजीओ के प्रमुख फंडर्स में से एक था।
कंधार हाइजैकिंग और उसका गहरा कनेक्शन
1999 में कंधार विमान हाइजैकिंग की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। जब विमान को आतंकवादियों ने अगवा किया और पाकिस्तान की ओर मोड़ा, तो सोरोस के फाउंडेशन का कनेक्शन सामने आने लगा। आतंकवादी संगठन इस ‘स्वतंत्र कश्मीर’ के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे थे, और अमेरिकी समर्थन से यह घटनाएँ घट रही थीं।
सोनिया गांधी की विदेश यात्राएँ और उनका अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन
सोनिया गांधी की विदेश यात्राओं को लेकर भी कई सवाल खड़े होते हैं। 2001 में सोनिया गांधी ने हेनरी किसिंजर के साथ ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ की बैठक की थी। यह संस्था अमेरिकी विदेश नीति पर गहरा असर डालने वाली मानी जाती है। क्या इन यात्राओं और बैठकों का भारतीय राजनीति और सुरक्षा पर असर पड़ा?
पठानकोट हमला और ‘लतीफ’ का कनेक्शन
पठानकोट हमले में एक अहम आतंकवादी ‘लतीफ’ था, जिसे 2010 में यूपीए सरकार ने ‘गुडविल’ के तहत रिहा किया था। यह वही लतीफ था, जो पहले कंधार हाइजैकिंग में भी शामिल था। क्या यह महज एक संयोग था, या इस निर्णय ने भारतीय सुरक्षा को खतरे में डाला?
निष्कर्ष:
सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरोस के कनेक्शन ने भारतीय राजनीति और सुरक्षा के संदर्भ में कई सवाल खड़े किए हैं। इन कनेक्शनों के आधार पर जो घटनाएँ घटीं, उनका असर आज भी भारतीय राजनीति पर देखा जा सकता है। क्या यह कनेक्शन सिर्फ व्यक्तिगत थे, या फिर इसमें कुछ बड़ा खेल था, यह भविष्य के लिए एक बड़ा सवाल है।
संदर्भ: यह जानकारी एक सामाजिक कार्यकर्ता से बातचीत में सामने आई, जिन्होंने व्हाट्सएप पर इसे साझा किया।
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